बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलतासरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता
प्रश्न- आंद्रे बेत्तेई ने भारतीय समाज के जाति मॉडल की किन विशेषताओं का वर्णन किया है?
अथवा
भारतीय समाज के जाति मॉडल पर टिप्पणी लिखिये।
उत्तर -
आंद्रे बेत्तेई ने भारतीय समाज के जाति मॉडल की निम्न मुख्य विशेषताएँ बतलाई हैं-
(1) यह मॉडल समाज के कुछ अनुभागों के विचारों या उनके द्वारा प्रकट विचारों पर प्रमुखतः आधारित है, न कि लोगों के अवलोकित व्यवहार पर। "आदर्श" और "वास्तविक" के बीच सदैव अन्तर पाया जाता है।
(2) धर्म ग्रन्थों में वर्णित जाति को इस मॉडल में एक प्रकार का प्राथमिक और सार्वभौमिक महत्व दिया गया है, लेकिन तथ्य तो यह है कि जाति बहुत बदल चुकी हैं और परिवर्तित परिस्थितियों में जाति ने नए आयाम और भूमिकाएँ ग्रहण कर ली हैं।
( 3 ) सम्पूर्ण जाति व्यवस्था कुछ निश्चित सिद्धान्तों या "खेल के नियमों" से शासित होती है।
(4) ऐसा समझा जाता है कि विभिन्न जातियाँ मानार्थ प्रकार्य पूरा करती हैं और उनके परस्पर सम्बन्ध " अविरोधात्मक" हैं। यहाँ पर तात्पर्य जजमानी प्रथा से हैं, जिसके अन्तर्गत वंशानुगत आधार पर विभिन्न जातियों के सदस्यों को निश्चित प्रकार्य पूरे करने का उत्तरदायित्व दिया जाता है।
बेत्तेई का मत है कि यह मॉडल एक व्यापक योजना के रूप में किसी समाज के विशिष्ट गुणों का बोध कराने में सहायक नहीं है। दूसरी बात यह है कि यह मॉडल अपने 'विशिष्ट स्वरूप में आर्थिक और राजनैतिक जीवन की मुख्य विशेषताओं की व्याख्या नहीं करता है। अतः यह मॉडल विचारों और मूल्यों से ही मुख्यतः जुड़ा हुआ है। इसकी उपयोगिता धार्मिक अवस्थाओं की व्याख्या करने में अधिक है। भारतीय समाज के "जाति मॉडल" की मदद द्वारा "हितो”, राजनैतिक, आर्थिक समस्याओं और अन्तर समूह सम्बन्धों का अध्ययन अधूरा ही रहता है। इस मॉडल को अपनाने से एक सांस्कृतिक व्यवस्था के रूप में जाति का अध्ययन भी सीमित हो जाता है।
जब जाति को एक सांस्कृतिक या वैचारिक व्यवस्था मानते हैं, तब जाति के संरचनात्मक पहलू पर उचित ध्यान नहीं दिया जाता है। निम्न व उच्च जातियों, भूस्वामी, भूमिहीन जातियों, जजमान और कमीन जातियों के बीच सम्बन्धों को समझने के लिए जाति का संरचनात्मक दृष्टिकोण से अध्ययन करना होगा। संरचनात्मक परिप्रेक्ष्य के अन्तर्गत, उदाहरण के लिए, प्रभुत्व और अधीनस्थता, अतिरेक बचत और शोषण, विशेषाधिकार तथा वंचन संदर्भ मुद्दे होते हैं। सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में विचारों और मूल्यों पर बल दिया जाता हैं, अर्थात् अपवित्रता - पवित्रता, विवाह के नियम और अन्तर्जातीय सम्बन्धों के नियम आदि का अध्ययन किया जाता है।
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- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्य पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
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- प्रश्न- डेविस-मूर के रचनात्मक प्रकार्यात्मक सिद्धान्त पर एक आलोचनात्मक टिप्पणी लिखिये।
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- प्रश्न- जाति और वर्ग में अन्तर बताइये।
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- प्रश्न- वर्तमान में धार्मिक जीवन (धर्म) में होने वाले परिवर्तन लिखिये।
- प्रश्न- जेण्डर शब्द की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये।
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- प्रश्न- जेण्डर समाजीकरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समाजीकरण और जेण्डर स्तरीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- समाज में लैंगिक भेदभाव के कारण बताइये।
- प्रश्न- लैंगिक असमता का अर्थ एवं प्रकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
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- प्रश्न- परिवार में जेण्डर के समाजीकरण का विस्तृत वर्णन कीजिये।
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- प्रश्न- लैंगिक श्रम विभाजन के हाशियाकरण के विभिन्न पहलुओं की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- महिला सशक्तीकरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पितृसत्तात्मक के आनुभविकता और व्यावहारिक पक्ष का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- जाति व्यवस्था और ब्राह्मणवादी पितृसत्ता से क्या आशय है?
- प्रश्न- पुरुष प्रधानता की हानिकारकं स्थिति का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- आधुनिक भारतीय समाज में स्त्रियों की स्थिति में क्या परिवर्तन आया है?
- प्रश्न- महिलाओं की कार्यात्मक महत्ता का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- आर्थिक क्षेत्र में लैंगिक विषमता की स्थिति स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अनुसूचित जाति से क्या आशय है? उनमें सामाजिक गतिशीलता तथा सामाजिक न्याय का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- जनजाति का अर्थ एवं परिभाषाएँ लिखिए तथा जनजाति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- अल्पसंख्यक कौन हैं? अल्पसंख्यकों की समस्याओं का वर्णन कीजिए एवं उनका समाधान बताइये।
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- प्रश्न- अस्पृश्य जातियों की प्रमुख निर्योग्यताएँ बताइये।
- प्रश्न- अस्पृश्यता निवारण व अनुसूचित जातियों के भेद को मिटाने के लिये क्या प्रयास किये गये हैं?
- प्रश्न- मुस्लिम अल्पसंख्यक की समस्यायें लिखिये।